आज का दौर साईंस
और
टैक्नोलोजी का दौर है।
दुनिया
में
कोई
भी
छोटी
बड़ी
ख़बर
पल
भर
में
दुनिया
के
एक
कोने
से
दूसरे
कोने
तक
पहुंच
जाती
है।
सन्
दो
हज़ार
उन्निस
के
आख़िर
में
सामने
आने
वाली
बीमारी
"कोरोना" की ख़बर चीन
से
निकल
कर
सारी
दुनिया
में
तेज़ी
के
साथ
पहुंची।
जिस
तेज़ी
के
साथ
ख़बर
पहुंची, शायद इस से
ज़्यादा
तेज़ी
के
साथ
ये
बीमारी
दुनिया
में
फैली।
Lock Down |
शुरू में दुनिया ने
इस
बीमारी
को
इतना
ख़तरनाक
नहीं
समझा
जितनी
ये
थी।
जैसे
जैसे
ये
चीन
से
बाहर
फैलना
शुरू
हुई
और मरने वालों की
गिनती
बढ़ी
तब
दुनिया
ने
इस को एहमीयत देना
शुरू
की।
लेकिन
तब
तक
काफ़ी
देर
हो
चुकी
थी।
इस
की
रोक-थाम
के
लिए
चीन
समेत
हर
मलिक
ने
अपने
तौर
पर
क़दम
उठाए।
पहले-पहल
दुनिया
ने
चीन
से
हवाई
सफ़र
पर
रोक
लगाई।
जबकि
चीन
ने
अपने
तौर
पर
इस
को
रोकने
के
बंद-ओ-बस्त
किए।
इस बीमारी का कोई
ईलाज
तो
था
नहीं,
बस
एक
बात
जो
सारी
दुनिया
को
समझ
आई
वो
ये
थी
कि
आपसी
मेल-जोल
को
कम
से
कम
किया
जाये। बस फिर किया
था
सारी
दुनिया
ने
इस
पर
काम
शुरू
कर
दिया। किसी मुल्क में
कर्फ़यू
लगा
किसी
ने
लॉक
डाउन
किया।
इन
दोनों
में
से
लॉक
डाउन
को
ज़्यादा
अच्छा
तरीक़ा
माना
गया। किसी ने पूरा
लॉक
डाउन
क्या
किसी
ने
उसे
स्मार्ट
लॉक
डाउन
कहा।
कहीं
ये
लॉक
डाउन
चौदह
दिनों
का
था
तो
कहीं
इस
से
ज़्यादा
दिनों
का। ये सिलसिला आज
की
तारीख़
तक
चल
रहा
है।
न्यूज़ीलैंड वो पहला मुलक
है
जिस
ने
लॉक
डाउन
पर
अच्छी
तरह
काम
किया
आज
इस
मुल्क
में
"को रोना का एक
भी
मरीज़
नहीं
है।
वक़्त गुज़र रहा है
और
लॉक
डाउन
भी
चल
रहा
है।
लेकिन
एक
बात
जो
शुरू
में
किसी
ने
नहीं
सोची
थी
वो
सामने
आने
लगी।
लोगों
के
मेल-जोल
से
ही
ये
दुनिया
चल
रही
है।
जब
लोगों
को
जहां
हैं
वहीं
रोक
दिया
गया
तो
इस
सेकाम
काज
रुक
गया।
काम
काज
के
रुकने
से
लोगों
को
पैसे
की
कमी
का
सामना
करना पड़ा। सबसे ज़्यादा
ग़रीब
लोग
इस
का
शिकार
हुए।
ये
एक
बहुत
तकलीफ़
की
बात
थी।
लेकिन
अमीर
भी
इस
तकलीफ़
से
बच
नहीं
सके,
और
लोग
अब
भी
इस
तकलीफ़
का
शिकार
हैं।
अब आते हैं असल
चीज़
पर
कि
लॉक
डाउन
ने
लोगों
को
किस
तरह
परेशान
किया।
लॉक
डाउन
से
हर
काम
रुक
गया।
स्कूल,
कॉलेज,
ऑफ़िस
।।।।।
हम
किसी
एक
आदमी
को
चुनते
हैं
और
इसी
पर
बात
करते
हैं।
अपने
समझने
के
लिए
हम
उस
का
नाम
"कबीर" रखते हैं।
कबीर बाक़ी लोगों की
तरह
जल्दी
जल्दी
ऑफ़िस
से
निकला,
क्यों
कि
सरकार
ने
सुबह
से लॉक डाउन कर
दिया
था।
अब
ऑफ़िस
पंद्रह
दिन
के
बाद
खुलेगा। ऑफ़िस
से
घर
तक
उसे
एक
घंटा
लगता
था।
लेकिन
आज
ऐसा
नहीं
होना
था।
बस
स्टॉप
पर
पहुंचा
जहां
रोज़
से
ज़्यादा भीड़
थी।
जो
भी
बस
आती
भीड़
भरी
आती।
उसे
बस
स्टॉप
पर
ही
दो
घंटे
गुज़र
गए। इस बीच घर
से
बार-बार फ़ोन आता कि
कहाँ
हो,
कब
तक
आओगे,
कैसे
आओगे?
कभी
तो
वो
आराम
से
जवाब
देता
और
कभी
गर्मी
से। एक बस में
उसे
इतनी
जगह
मिल
गई
कि एक पांव रख
सके।
कभी
सोचता
कि
कुछ
रुक
कर
दूसरी
बस
पकड़ता
,कभी
सोचता
अच्छा
ही
किया
पता
नहीं
अगली
बस
कब
तक
आती?
तीन घंटे बाद कबीर
घर
पहुंच
गया।
लेकिन
इस
की
मुश्किल
ख़त्म
नहीं
हुई
थी।
घर
पहनते
ही
बीवी
ने
कहा "आज तो बहुत
देर
कर
दी,
लॉक
डाउन
से
दुकानें
बंद
हो जाएँगी, लिस्ट बना
दी
है
ये
सामान
ले
आओ।
कबीर
साहिब
जल्दी
जल्दी
फिर
घर
से
निकले
और
बाज़ार
को
चल
दिईए।
लॉक
डाउन
की
ख़बर
अकेले
कबीर
या
उस
की
बीवी
को
तो
नहीं
मिली
थी
सारा
शहर
जानता
था।
कबीर
ने
बाज़ार
में
अपनी
तरह
के
कई
कबीर
देखे
जो
हाथ
में
काग़ज़
पकड़े
दुकानों
के
बाहर
खड़े
थे।
रात
गए
कबीर
को
सामान
मिल
ही
गया।
बीवी ने एक एक
चीज़
लिस्ट
के
हिसाब
से
देखी।
शुक्र
है
सब
कुछ
पूरा
था।
कबीर
ने
कपड़े
बदले
और
बीवी
को
खाना
लगाने
का
कहा।
खाना
खाते
हुए
इस
ने
बीवी
से
पूछा
"कोमल बच्चों के स्कूल
से
लॉक
डाउन
पर
कोई
नोटिस
आया
किया?
बीवी
ने
कहा
कि
"आया तो है अब
सुबह
देख
लेना
वो
मुन्ने
के
बैग
में
पड़ा
है।
Lock Down |
आज कबीर ज़रा देर
से
जागा
क्योंकि
ऑफ़िस
तो
जाना
नहीं
था।
नाशतादान
क्यू
बच्चों
के
साथ
खेलने
लगा।घर
में
खाने
पीने
का
सामान
तो
था
ही,अगले
कई दिन ईसी तरह
गुज़र
गए।
लॉक
डाउन
के
चौधवीं
दिन
टीवी
पर
ख़बर
सुनी
कि बीमारी के फैलने
की
वजह
से
लॉक
डाउन
एक
महीने
के
लिए
बढ़ा
दिया
गया
है।
ये
ख़बर
कबीर
फ़ैमिली
के
लिए
बहुत बुरी साबित होने
वाली
थी।
बिजली,
पानी
गैस
के
बलज़ि
आ
चुके
थे,
दूओध
वाला
भी
पैसों
की
पर्ची
थमा
गया
था।
महीने
के
आख़िरी
दिन
चल
रहे
थे।
घर
में
जो
पैसे
पड़े
थे
वो
ख़त्म
हो
चुके
थे।
कबीर ने टीवी आन
क्या
सारे
चैलनज़
बस
एक
ही
ख़बर
दे
रहे
थे
कि
आज
को
रोना
से
इतने
लोग
बीमार
हो
गए,
इतने
मर
गए।
बार-बार
एक
ही
तरह
की
ख़बर
सुन
सुन
कर
उस
की
हालत
ख़राब
हो
रही
थी।
आख़िर
इस
ने
टीवी
बंद
कर
दिया।
बच्चों
ने
दुबारा
टीवी
आन
किया
और
कार्टून
लगा
लिए।
कबीर
ने
गुस्से
में
उन्हें
टीवी
बंद
करने
का
कहा।
कोमल
ने
कबीर
को
इतने
गुस्से
में
पहले
कभी
नहीं
देखा
था।
इस
ने
कबीर
से
पूछा
कि "आज आप इतना
गु़स्सा
क्यूँ-कर
रहे
हैं?" कबीर ने कहा
"गु़स्सा क्यों ना करूँ
एक
तरफ़
सारे
पैसे
ख़त्म
हो
गए
हैं
दूसरा
ये
बलज़ि
उन का में
क्या
करूँ?"
कोमल
ने
कहा
कि
"ऑफ़िस फ़ोन कर के
सैलरी का पता करो।
कबीर
बोला
"ऑफ़िस फ़ोन किया था,
वहां
से
कोई
जवाब
नहीं
आया।
अपने
कोलीग
को
फ़ोन
कर
के
पूछा
कि
भाई
सैलरीका
क्या
बना?
इस
ने
बताया
कि
'इस
महीने
सैलरीनहीं
मिलेगी।
कोमल को भी ये
सुन
कर
परेशानी
हुई लेकिन इस ने
कबीर
को
तसल्ली
देते
हुए
कहा
कि
"थोड़े दिनों तक सारा
कुछ
थीक
हो
जाएगा
कबीर
बोला
"कैसे ठीक हो जाएगा?
हमारे
पास
दो
दिन
का
राशन
पड़ा
है
और
लॉक
डाउन
अभी
एक
महीना
चलेगा।
ये
भी
पता
नहीं एक महीने से
भी
आगे
चला
जाये।
इतने
दिन
कैसे
गुज़ारेंगे? मोबाइल का बैलंस
भी
ख़त्म
हो
गया
है।
कबीर
बोलता
जा
रहा
था
और
कोमल
सुनती
जा
रही
थी।
बच्चे
अपने
माँ
बाप
की
इस
लड़ाई
को
देख
रहे
थे।
कबीर
ने
बच्चों
को
झिड़क
कर
दूसरे
कमरे
में
भेज
दिया।
दिन गुज़रते गए और
राशन
ख़त्म
हो
गया।
इस
सैलरी
पर
कोमल
ने बच्चों के कपड़े
ख़रीदने
का
सोचा
था
जो
कि
उसे
नज़र
आरहा
था
कि
इस
बार
नहीं
हो
सकेगा।
इस
बीच
सरकार
ने
ऐलान
किया
कि
लॉक
डाउन
के
की
वजह
से
लोगों
की
राष्
सरकार
की
तरफ़
से
दिया
जाएगा।
ये
एक
अच्छी
ख़बर
थी।
सरकारी
राशन
के
लिए
कबीर
ने
पिता
की
तो
उसे
मालूम
हुआ
कि
ये
उन
लोगों
को
मिलेगा
जिन
का
अपना
घर
नहीं
है,
जिन
की
सैलरी15000
से
कम
है
।।।।।।।।।।।। राष् की ये
आस
भी
जाती
रही।
इस
ने
अपने
पड़ोसीयों
से
मदद
मांगने
का
सोचा।
अपने
साथ
वाले
घर
वालों
से
बात
की
मगर
उसे
यही
लगा
कि
यहां
सारे
कबीर
ही
रहते
हैं।
Amazing story
ReplyDeleteBohat he umdaaa story
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