Wednesday 8 July 2020

तराना ए हन्दी --- डॉक्टर अल्लामा मुहम्मद इकबाल

Dr. Allama Muhammad Iqbal


सारे जहां से अच्छा हिन्दुसतां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, येह गुलिसतां हमारा

गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी दिल हो जहां हमारा

परबत वो सब से ऊंचा, हमसाया आसमां का
वोह संतरी हमारा, वोह पासबां हमारा

गोदी में खेलती हैं इस की हज़ारों नदीयां
गुलशन है जिस के दम से रशके जिनां हमारा

ऐ आब रूद-ए-गंगा ! वोह दिन है याद तुझको
उतरा तेरे किनारे जब कारवां हमारा

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हन्दी हैं हम वतन है हिन्दुसतां हमारा

यूनान-ओ-मिसर वह रोमा सब मिट गए जहां से
अब तक मगर है बाकी नाम-ओ-निशां हमारा

कुछ बात है कि हसती मिटती नहीं जहां से
सद्यों रहा है दुशमन दौर-ए-जहां हमारा

इकबाल कोयी महरम अपना नहीं जहां में
मालूम कया किसी को दरद-ए-नेहां हमारा

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